मानव स्वतंत्रता के नायक थे बाबा साहब अम्बेडकर

Like this content? Keep in touch through Facebook
oooooooooo

बाबा साहब ने सम्पूर्ण भारत वर्ष के लोगों को सामाजिक व्यवस्था की उन बेडि़यों से आजाद कराया जिनकी जकड़न ने लोगों को समता और सम्मान से महरूम कर दिया था। बाबा साहब ने समाज के शोषित वर्ग के साथ महिलाओं को न बल्कि समता औेर सम्मान का हक दिलाया अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष को एक नई दिशा भी दी।

                                                  
भारत रत्न बाबा साहब डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर भारत के संविधान निर्माता और देश के प्रथम कानून मंत्री थें। लेकिन यह बात नई पीढ़ी के सामने नहीं लायी गई कि बाबा साहब भारत में मानव स्वतंत्रता के महानायक थे। उन्हें व्यक्ति की स्वतंत्रता में अटूट विश्वास था। उन्होंने  अपना सर्वस्व मानव स्वतंत्रता के लिए अर्पित कर दिया था। उन्होंने समाज की रूढिवादी और जातिवादी कट्टर नीतियों की आलोचना की। बाबा साहब ने सम्पूर्ण भारत वर्ष के लोगों को सामाजिक व्यवस्था की उन बेडि़यों से आजाद कराया जिनकी जकड़न ने लोगों को समता और सम्मान से महरूम कर दिया था। मानव स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें ‘‘वन मैन आॅफ आर्मी’’ कहा जाता है। बाबा साहब ने समाज के शोषित वर्ग को न बल्कि समता अैोर सम्मान का हक दिलाया अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष को एक नई दिशा भी दी।   

बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रेल 1891 को मध्य प्रदेश स्थित मऊ में हुआ था। बाबा साहब रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं संतान थे। वे हिन्दु समाज की अस्प्रश्य मानीे जाने वाली जाति से थे इस कारण उनके साथ आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। बाबा साहब अम्बेडकर को अपनी जाति के कारण हर स्तर पर सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। स्कूल में पढ़ाई के दौरान अध्यापकों द्वारा न तो ध्यान ही दिया जाता था, न ही कोई सहायता दी जाती थी। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी। उनको स्कूल में पीने को पानी तक नहीं दिया जाता था। पढाई में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद, अम्बेडकर लगातार अपने विरुद्ध हो रहे इस अलगाव और भेदभाव से व्यथित रहे।  इन सब के बावजूद उन्होने बिना विचलित हुए अपनी पढ़ाई के प्रति समर्पित रहे और देश विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त कर भारत के सर्वोच्च शिक्षित प्रमुख विद्वान के रूप में स्थापित हुए।

बाबा साहब अम्बेडकर के लिए ऊंच नींच, भेद-भाव और रूढिवादी सामाजिक व्यवस्था में जकड़ी भारत की बहुसंख्यक आवादी की स्वतंत्रता एक अहम और मुख्य बिन्दु था जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। सन् 1919 से बाबा साहब ने बडे स्तर पर भारत में छुआछूत और जातिगत भेदभाव के विरूद्ध मुखर आन्दोलन की शुरूआत की और इसी के साथ ही उन्होंने अपने विरोधियों में एक हलचल पैदा कर दी। बाबा साहब ने 1927 में छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन शुरू किया।उन्होंने सार्वजनिक आंदोलनों और जुलूसों के द्वारा, पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी लोगों के लिये खुलवाने के साथ ही उन्होनें सभी जाति के लोगों को मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये भी संघर्ष किया।

अगस्त, 1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान अम्बेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा। बाबा साहब अम्बेडकर ने भारत की बहुसंख्यक आवादी को दासता की बेडि़यों से आजाद कराकर समता और सम्मान का हक दिलाया। यह देश की किसी भी आजादी से सबसे बड़ी आजादी की लड़ाई थी जिसको बाबा साहब अम्बेडकर ने अकेले दम पर लड़कर समाज को स्वतंत्र कराया जिसे मानव स्वतंत्रा के रूप में देख जाता है। और बाबा साहब डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर को मानव स्वतंत्रता के महानायक के रूप में।

संविधान लिख कर बदली भारत की तस्वीर

बाबा साहब डाॅक्टर अम्बेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी।जब, 15 अगस्त, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व मे आई तो उसने अम्बेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया। 29 अगस्त 1947 को, अम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी के संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। अम्बेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान पाठ में संवैधानिक गारंटी के साथ व्यक्तिगत नागरिकों को एक व्यापक श्रेणी की नागरिक स्वतंत्रताओं की सुरक्षा प्रदान की जिनमें, धार्मिक स्वतंत्रता, अस्पृश्यता का अंत और सभी प्रकार के भेदभावों को गैर कानूनी करार दिया गया। बाबा साहब ने संविधान में भारत के सभी नागरिको को उनके मूलभूत अधिकार प्रदान किए। अम्बेडकर ने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की वकालत की और 6 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया।

द फादर आॅफ माॅडर्न इण्डिया

अम्बेडकर की सामाजिक और राजनैतिक सुधार का आधुनिक भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद के भारत मे उनकी सामाजिक और राजनीतिक सोच को सारे राजनीतिक हलके का सम्मान हासिल हुआ। उनकी इस पहल ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों मंे आज के भारत की सोच को प्रभावित किया। उनकी यह् सोच आज की सामाजिक, आर्थिक नीतियों, शिक्षा, कानून और सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से प्रदर्शित होती है। एक विद्वान के रूप में उनकी ख्याति चहुंओर सिद्ध हुयी है और यही बाबा साहब को ‘‘द फादर आॅफ माॅडर्न इण्डिया’’के रूप में पहचान दिलाती हैं

जब अमेरिकी प्रेसीडेण्ट ओबामा बोले डाॅक्टर अम्बेडकर ने दिए सभी को अधिकार

नवम्बर 2010 में भारत आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय संसंद को सम्बोधित करते हुए अपने भाषण में कहा कि हम भविष्य में विश्वास रखते हैं। यह मायने नहीं रखता है कि आप कौन हैं और कहां से आए हैं। हर इंसान मागदर्शन की क्षमता रख सकता है जैसा कि दलित वर्ग से आने वाले डाॅक्टर अम्बेडकर ने संविधान में सभी भारतीयों के अधिकारो की सुरक्षा की। इसमें यह मायने नहीं रखता कि आप कहां रहते है? पंजाब के किसी गांव में चांदनीचैक ,कोलकाता के सभी भाग में या बैगलोर मे। सभी व्यक्ति को समान मौके सुरक्षा और
सम्मान प्रदान किए गए।

द ग्रेटेस्ट इण्डियन सर्वे में बाबा साहब को मिले सर्वाधिक वोट

अगस्त 2012 में सीएनएन आईबीएन के द ग्रेटेस्ट इण्डियन सर्वे में डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर को सर्वाधिक वोट मिले थे।सम्पूर्ण भारत में की गई आम बोटिग में बाबा साहब अम्बेडकर के पक्ष में अन्य की अपेक्षा कई गुना अधिक बोट हांसिल हुए और बाबा साहब ग्रेटेस्ट इंण्डियन (महानतम् भारतीय) के रूप में सामने आए। और इस सर्वे में यह बात सामने आई कि देश भर के लोगों के दिलों में बाबा साहब अम्बेडकर का एक महत्वपूर्ण स्थान है और बाबा साहब एक रोल माॅडल के रूप  में हैं।