समर वेकेशन में फिनिशिंग एक बेहतर करियर कॉन्सेप्ट

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finishingफिनिशिंग स्कूल का कॉन्सेप्ट भारत के लिए भले ही नया हो, लेकिन विदेशों में इसकी शुरूआत काफी पहले ही हो चुकी है। फिनिशिंग रूकूल मूलतः स्कूल व प्रोफेशनल कॉलेज के बीच की कड़ी होते हैं। इसमें अलग-अलग स्ट्रीम से आए छात्रों को वोकेशनल टेªनिंग देकर जाॅब के लायक बनाया जाता है। गौरतलब है कि आज भी देश में हायर सेकेंडरी लेवल पर व्यावहारिक ट्रेनिंग का स्तर बेहतर नहीं है। अधिकांश छात्र कक्षाएं तो पार करते जाते हैं लेकिन जाॅब के लायक नहीं बन पाते हैं। ऐसे में इन फिनिशिंग स्कूल की अहमियत और बढ़ जाती है। 11 वीं और 12 वीं के बाद करियर की मंजिल तलाश रहे छात्र छुट्टियों में फिनिशिंग स्कूल का सहारा ले सकते हैं।

राष्ट्रीय बाल भवन-ग्रीष्मावकाश की अवधि में छात्रों को दिए जाने वाले प्रशिक्षणकी महत्ता सरकार भी समझती है। राष्ट्रीय बाल भवन के जरिए सरकार अपनी इसी मंशा को परवान चढ़ा रही है। यहां समाज के निचले व आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के छात्रों को वरीयता दी जाती है। संस्थान में प्रवेश पाने वाले छात्रों को बेहद कम फीस में वोकेशन ट्रेनिंग का मौका मिलता है। राष्ट्रीय बाल भवन में चलने वाले प्रोग्राम अमूमन मई के प्रथम सप्ताह में शुरू होते हैं।

समर कैपिंग में इंडिया हैबीटेट सेंटर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह हर साल तरह-तरह की समर वर्कशॉप की मेजबानी करता है। सेंटर में न केवल जॉब ओरिएंटेड अल्कि अनेक मनोरंजक वर्कशाप? एक्टिविटिज का आयोजन होता है। खास बात है कि अलग-अलग क्षेत्रों की कई नामी शख्सियतें भी बतौर मार्गदर्शक यहां आमी रहती है। म्यूजिक, डांस जैसे परंपरागत प्रोग्रामों के अलावा यहां कैलीग्राफी, मास्क मेकिंग, ग्लासपेटिंग, स्टोरी टेलिंग, पब्लिक स्पीकिंग, इलेस्ट्रेशन, क्रिएटिव राइटिंग, पब्लिक स्पीकिंग, इलेस्ट्रशन, क्रिएटिव राइटिंग, सोशल अंडरस्टैंडिंग जैसी चीजें भी सिखाई जाती हैं।

इन वर्कशाप्स में 5 से 18 साल की बायु वाले बच्चे, किशोर भाग ले सकते हैं। इसी तरह उनउसडी और त्रिवेणी कला संगम में कई तरह के समर वर्कशॉप होती हैं। देश में साइंस टेक्नोलॉजी का हब कहा जाने वाला बेंगलुरू गर्मियों में स्अूडेंट्स का टॉप डेस्टिनेशन बन जाता है। इसका कारण है यहां चलने वाले समर प्रोग्राम। इसमें साइंस उत्सव अपने आप में खास है।

यहां पर 8 से 14 साल के बच्चों को दैनिक जीवन में काम आने वाली चीजों के जरिए विज्ञान के मजेदार प्रयोग सिखाए जाते हैं। इनसे बच्चों में सहज वैज्ञानिक बुद्धि का विकास तो होता ही है, साइंस में रूचि भी जागाती है। प्रतिभा हर बच्चे में होती है जरूरत है तो बस उसे ग्रूम करने की। समर वेकेशन इस मामले में एक बढि़या अवसर है।

हर बच्चा अपने आप में यूनिक होता है। उसके अंदर मौजूद खास क्वालिटीज उसे दूसरों से अलग बनाती है। ऐसे में उसकी प्रतिभा की दूसरे से तुलना ठीक नहीं होगी। समर कैंप्स में बच्चों में छीपी ऐसे ही प्रतिभा को अलग-अलग प्रोग्राम के जरिए उकेरा व संयोया जाता है।

आने वाला दौर डिजिटल टेक्नोलॉजी का युग होगा। यदि आगे रहना है तो जरूरी है कि बच्चे शुरू से ही इसके हर बदलाव से परिचित हो। इस माहौल में अगर बच्चा आईटी की ओर झुकाव दिखाता है, तो बेहतर होगा कि उसे समर कैंप में चलने वाले टेक कोर्सेस में दाखिला दिलाएं। वहां वह डिजाइन, वेब डिजाइन, एनीमेशन, प्रोग्रामिंग सीख सकता है वो भी बड़े ही मनोरंजक अंदाज में।

कई स्अूडेंट्स अपनी पढ़ाई के दौरान म्यूजिक, सिंगिंग, डांसिंग आदि में ज्यादा रूचि लेने के कारण अक्सर पैरेंट्स के गुस्से का शिकार होते हैं। पर गर्मी की इन छुट्टियों में उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं। वे समर कैंप्स में अपनी इन रूचियों का पूरा लुत्फ ले सकते हैं। आज इन कैंप्स में संचालित हो रहे टेलेंट ओरिएंटेड प्रोग्राम उनकी क्षमताओं में चार चांद लगा रहे हैं। ज्यादातर बच्चे बोझ के चलते वे इसका पूरा मजा नहीं ले पाते। ऐसे बच्चों के लिए समर कैंप्स मन मांगी मुराद जैसे होते हैं। इन कैंप्स में सबसे ज्यादा संख्या में बच्चे इसी सेशन में देखे जाते हैं।

यहां विशेषज्ञों द्वारा बच्चों को क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, स्विमिंग, राइडिंग, ट्रैकिंग से संबंधित कोचिंग दी जाती हैं। देखा गया है कि ये समर कैंप्स बच्चों की लाइफ में टर्निग प्वांट साबित होते हैं। कामयाबी के लिए केवल एकेडक्मिस के भरोसे रहना ही काफी नहीं रह गया है, बल्कि इसके साथ सोशल स्कील्स यानि लोगों के साथ बेहतर इंट्रेक्शन, पर्सनैल्टिी, पब्लिक स्पीकिंग भी अहम है। यही कारण है कि इन दिनों समर क्लासेस में दनसे संबंधित कोर्सों का महत्व बढ़ रहा है। इसके अंतर्गत बच्चों को उठने-बैठने से लेकर, सामान्य बोलचाल, श्रोताओं के सामने बोलने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

आज कल विदेशी भाषा को लेकर देश में बड़ा क्रेज देखा जाता है। कारण इन कोर्सों के जरिए मिलने वाली सीधी जॉब ऑपच्र्युनिटी। यदि कोई इन भाषाओं की बारिकियों से उम्र के पहले ही पड़ाव में रूबरू हो जाए तो इस क्षेत्र में उसका भविष्य कितना बेहतर होगा। इन्ही सबको देखते हुए देश में चलने वाले समर कैंप्स में फॉरेन लैंग्वेज कोर्सो को भी शामिल किया गया है।

ठन सब के अलावा आज की तेज रफ्तार जिन्दगी में आध्यात्म एक प्रमुख जरूरत बनकर उभरा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ध्यान, योगा से संबंधित छोटे-छोटे प्रोग्राम मानसिक एकाग्रता में सहायक होते हैं। ऐसे में कई समर कैंप्स बच्चों में कॉन्सेनट्रेशन बढ़ाने वाले मेडीटेशन एक्टिविटिज, आर्ट ऑफ लिविंग जैसे प्रोग्राम चलाते हैं। बच्चे ही नहीं उनके पैरेट्स भी इन कोर्सो का फायदा उठा सकते हैं। तो अगर आप भी अपनी इन गर्मियों कर छुट्टियों का सही फायदा उठाना चाहते हैं तो जल्द से जल्द किसी बेहतर समर कैंप की ओर रूख करना शुरू कर दीजिए, जो आपको खेल के साथ ज्ञान भी प्रदान करेगा।