आजादी के बाद बने भारतीय सविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट तौर पर वर्णित हैं, हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिको को सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय विचार, अभिव्यकित, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्र ता प्रतिष्ठा और...
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मैं कॉमर्स का छात्र होने के बावजूद शेयर मार्केट का उतार – चढ़ाव कभी अपने पल्ले नहीं पड़ा। सेंसेक्स में एक उछाल से कैसे किसी कारोबारी को लाखों का फायदा हो सकता है, वहीं गिरावट से नुकसान , यह बात समझ में नहीं आती। अर्थ – व्यवस्था की यह...
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समकालीन परिवेश में हमारे प्रतिदिन के जीवन चक्र में और लगभग सभी क्षेत्रों में मीडिया का हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया है, इसके अनेक कारण हैं। मीडिया के विभिन्न जनसंचार माध्यमों
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जनसंचार का अर्थ जनता के बीच विभिन्न माध्यमों से किया जाने वाला संचार है। जनसंचार का वर्तमान समय इसके परिपक्व समाज की मनोदशा विचार, संस्कृति आम जीवन
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अब तो यह सिद्ध हो गया है कि हम वाकई पिछड़े हैं। लोग 21वीं सदी की हाईटेक सिस्टम से हर क्रियाएँ करने लगे हैं और एक हम हैं कि वही कलम-कागज, वही पुराना लकड़ी का पैड जो वर्षों से इस्तेमाल करते चले आ रहे हैं, अब भी हमारे लेखनकक्ष...
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हमारा देश आज पुरी तरह से खनन माफियाओं के गिरफ्त में आ चुका है। आज चारों और खनन माफियों की भरमार है शायद ही हिन्दुस्तान का कोई कोना बचा हो जहाँ तरह-तरह के खनन माफियाओं का गुंडा राज न फैला है। हमारे देश की प्राकृतिक संपदाओं की बात करें...
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देश के लिए एक गंभीर समस्या नक्सलवाद, यह सिर्फ भटके हुए आन्दोलन के अलावा और कुछ नहीं है। यह अधैर्य की उपज है। इसकी बस्ती में मानवता की कोई बयार नहीं बहती।
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भारत वर्ष की दशा इस समय बड़ी दयनीय है। देश में वक्त बेवक्त भड़कते सांप्रदायिक दंगों को देखकर ऐसा लगने लगा है, जैसे एक धर्म के अनुयायी दूसरे धर्म के अनुयायियों के जानी दुश्मन हैं। अब तो एक धर्म का होना ही दूसरे धर्म का कट्टर दुश्मन जैसा होना...
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एक वक्त था जब पत्रकार की कलम पर लोगों को पूरा भरोसा हुआ करता था। इस देश का हर नागरिक जानता था कि कलम से लिखा गया हर शब्द सच होगा और हर नागरिक आँख बन्द करके उस पर आसानी से भरोसा भी कर लेता था।
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भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2, 510 किमी की दूरी तय करती हुई उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन जन की भावनात्मक आस्था का...
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