असम में बड़ा आतंकी हमला, अंधाधुंध फायरिंग में 13 की मौत, 80 घायल

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कोकराझार:  असम के कोकराझार में एक व्यस्त बाजार में शुक्रवार को सेना की वर्दी पहने चार से पांच आतंकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी को भी मार गिराया। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हमले में ‘विदेशी ताकतों’ की संलिप्तता से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि संभव है कि इसके लिए निर्देश विदेशों से मिले हों। उन्होंने हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि किसी भी दोषी को नहीं बख्शा जाएगा।

गौरतलब है कि जब मई 2014 में केंद्र में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तो कुछ महीने बाद ही असम में उग्रवादियों ने सिलसिलेवार हमले कर 80 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। अब ये फिर घिनौनी हरकत पर उतर आये हैं। वो भी ऐसे समय में जब करीब दो महीने पहले ही असम में बीजेपी की सरकार बनी है।बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन चुके असम चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने भी खूब मेहनत की और पूर्वोत्तर में पहली बार अपनी पार्टी को सत्ता सौंपने में कामयाब हुए।

बालाजान तिनियाली बाजार में ऑटो रिक्शा में आए नकाबपोश हमलावरों ने एके-47 से फायरिंग की जिसमें 13 लोग मारे गए और 50 घायल बताए जा रहे हैं। हालांकि, एक हमलावर मारा गया है लेकिन उसके साथी फरार हो गए हैं जिनकी तादाद 3-4 बताई जा रही है। सेना और स्थानीय पुलिस उनकी तलाश में जुट गई है।

असम पुलिस के प्रमुख मुकेश सहाय ने कहा कि उन्हें संदेह है कि इस हमले के पीछे नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी-सोंगबिजीत) का हाथ है और पीड़ित मुख्यत: बोडो नागरिक हैं। लगभग 50 अन्य घायल हुए हैं। सहाय ने कहा कि आतंकवादियों का एक समूह साप्ताहिक बाजार पहुंचा और एक हथगोला फेंकने के बाद लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि इलाके में मौजूद सुरक्षाबलों ने उनका मुंहतोड़ जवाब दिया और एक आतंकवादी को मौके पर ही मार गिराया।

सहाय ने कहा कि आसान लक्ष्यों पर वार करना आतंकवादियों की रणनीति होती है। हमने इलाके में और इसके आसपास तलाशी अभियान शुरू किया है। संदिग्धों की संख्या चार से पांच होने की आशंका है। कोकराझार कस्बा गुवाहाटी से 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बोडो जनजाति बहुल क्षेत्र है। सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से एक एके-56 राइफल तथा हथगोले बरामद किए हैं। आई के सोंगबिजित के नेतृत्व वाला एनडीएफबी का धड़ा वार्ता विरोधी माना जाता है।

शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक हमलावर उग्रवादी संगठन एनडीएफबी (एस) यानी नेशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट के सोंगबजीत धड़े के थे। इस संगठन ने करीब दो साल पहले सूबे में एक के बाद एक कई हमले किए थे जिनमें 80 से ज्यादा लोग मारे गए थे। ये हमले 23 दिसंबर 2014 को चिरांग, सोनितपुर और कोकराझार में हुए थे। उसी साल मई में इस तरह के हमले प्रवासी मुसलमानों पर हुए थे, जब दिल्ली में 10 साल बाद नई सरकार प्रचंड बहुमत के सहारे सत्ता में आ रही थी। लेकिन दिसंबर 2014 का हमला पूर्वोत्तर भारत के इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार था।

अलग बोडोलैंड की मांग को लेकर हिंसा पर उतारू यह उग्रवादी संगठन दो साल बाद फिर खूनी दस्तक देने वाला है, इस बारे में खुफिया अलर्ट स्थानीय पुलिस को पहले ही मिल चुका था। हाल के दिनों में सुरक्षाबलों ने एनडीएफबी के कई उग्रवादियों को मार गिराया था और कई गिरफ्तार किए गए थे। ऐसे में आशंका थी कि उग्रवादी संगठन कोई बड़ा हमला कर सकता है।

सूत्रों के मुतामिक मिली जानकारी के मुताबिक एनडीएफबी दावा करता है कि वो बोडो समुदाय के लोगों का रहनुमा है जो असम के मूल निवासी हैं। असम का आदिवासी समाज मुख्य तौर पर चाय बागान में वर्कर के तौर पर काम करता है। इनमें कुछ ब्रिटिश राज के दौरान लाए गए मजदूरों के वंशज हैं जबकि कुछ देश के अन्य हिस्सों से प्रवासी मजदूर के तौर पर यहां काम करने आए लोग हैं। स्वायत्त बोडोलैंड की मांग को लेकर दशकों से खूनी हिंसा में शामिल इन उग्रवादियों में से कइयों ने तो हथि‍यार डाल दिए लेकिन सोंगबजीत की अगुवाई वाले धड़े यानी एनडीएफबी (एस) ने हथि‍यार डालने से इनकार कर दिया।

एनडीएफबी के उग्रवादियों ने 23 दिसंबर 2014 को शाम 6 बजे के करीब असम के कोकराझार, सोनितपुर और चिंराग जिलों में हमला कर कम से कम 81 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इनमें ज्यादातार आदिवासी और ईसाई समुदाय के थे। ये हमले ऐसे वक्त हुए जब ये लोग क्रिसमस की तैयारियों में जुटे थे। करीब ढाई दशक से उग्रवादी हिंसा की आग में जल रहे असम में इस हमले की गंभीरता इस बात से भी साफ होती है कि 1992 में सालभर में कुल 80 और 1993 में 74 लोग मारे थे।

23 दिसंबर वाली घटना के बाद आदिवासी समुदाय में काफी रोष पैदा हुआ और जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। इसके बाद भड़की हिंसा में आदिवासी और बोडो समुदाय के लोगों ने एक-दूसरे के घरों को आग के हवाले करना शुरू कर दिया। केंद्र सरकार को हालात पर काबू पाने के लिए सीआरपीएफ और सेना की अतिरिक्त टुकड़ि‍यां तैनात करनी पड़ीं। घटना की जांच एनआईए को सौंपनी पड़ी। हालांकि, इस नरसंहार को अंजाम देने वाले एनडीएफबी के दो खूंखार उग्रवादियों समेत 6 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया था। शुक्रवार की घटना के बाद भी आशंका है कि दो साल पहले जैसी आगजनी और हिंसा का दौर न शरू हो जाए।

कोकराझार सहित चार बोडो जिलों में प्रशासनिक कार्यों का संचालन करने वाली बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य हगरामा मोहिलारी ने कहा कि हमले में कई लोग घायल हुए हैं। असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल ने हमले की निंदा करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को टेलीफोन पर हमले से अवगत करा दिया है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अपराध में शामिल किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। मुख्यमंत्री ने शांति व समरसता की अपील करते हुए कहा कि सरकार नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।